जब किसी राष्ट्र मे सत्ता सुख के लिए खैरात का बडे पैमाने पर बितरण होने लगता है तथा वोट के लिए राजकीय कोष से नोट लुटाये जाने लगते है तो उस राष्ट्र के विकास का रास्ता अवरुद्ध हो ही जाता है।तथा झूठ के बल पर जनता को बहकाने का खेल होने लगता है तथा खोज खोज कर सरकारी बजट खर्चे को अपने हित मे पर्चा व किताब छपवाकर लोगों मे बाटे जाने लगे तो निश्चित तौर पर उस राष्ट्र की स्थिति बिगड़ने ही लगती है। विश्व में कुछ ऐसे भी देश है जहाँ धर्म व मजहब काफी हाबी है । पर आज तक वो देश गरीबी व आतंक का दंश झेल रहे हैं। तथा वहां शिक्षा का प्रतिशत काफी निम्न स्तर का है वहा के लोग किसी तरह सिर्फ भरण पोषण के लिए ही जीते हैं कही अपना देश भी उस तरफ अग्रसर तो नही हो रहा है? इस पर बिचार करने की जरूरत है। हिन्दू को मुसलमान, मुसलमान को हिन्दू के बिरुद्ध उकसाना तथा बगावत कराकर सत्ता के गलियारों तक पहुचना तथा लोगों को गरीब बनाकर खैरात खिलाना, तथा खैरात की उम्मीद मे आशा लगाकर बैठाना तथा खैरात की राशि मे बढोत्तरी कर देश के नौजवान, किसान, मजदूर, व्यापारी, आदि को निकम्मा बनाना ये साजिश नहीं तो और क्या है? खैरात किसके लिए, किसको, और वास्तविक इसका हकदार कौन है इस पर बिचार किए बिना। 70%--80%लोगों को खैरात की आगोश मे ढकेल देना गरीबी व आतंक को दावत देना नहीं तो और क्या है? बिकलांग जन ,विधवा, अनाथ,बुजुर्ग, कुपोषण के शिकार बच्चे ,असाध्य रोगों से पिडित लोग, प्राकृतिक आपदा के शिकार लोग ,बनटांगीयां, नट एवं जनजाति के लोग आदि ही वास्तव मे खैरात के वास्तविक हकदार है जिनको जीने के लिए सहारे की जरूरत होती हैं सही मायनों में इनका भौतिक निरीक्षण करके ही इन्हें जरूरत के हिसाब से खैरात दिया जाना चाहिए । पर आज राजनीति से प्रेरित सामाजिक ब्यवस्था तार तार हो गई है। निकम्मे लोग जनसंख्या का हवाला देकर सर्व समाज को उलझाने का कार्य करते हैं तथा विकास की राह को अवरुद्ध करते है। एक कहावत है कि( जिसकी जितनी लाठी उतनी उसकी शक्ति) भारत मे लगभग एक सौ पैतीस करोड़ के आस पास लोग रहतें है तो क्या हुआ ।हम इसके बीस गुना अधिक ताकत के साथ आगे बढते हुए विकास की इबादत लिख सकते हैं। बस जरूरत है परिवर्तन की 135करोड़ मे मात्र 100करोड़ रू. से गुणा करने की ही तो जरुरत है नहीं होगी खैरात की जरूरत, नहीं होगी आरक्षण की जरूरत, नही होगी किसी के सहयोग की जरूरत, नही होगा कोई बेरोजगार, नहीं होगा धर्म व मजहब की लडाई ,नहीं होगा जातीवाद का जहर , नहीं होगा देश का नूकसान । 5 टीर्लियन डालर ही क्यों। 25 टीर्लियन डालर की अर्थव्यवस्था भी खडी हो सकती है।बस जरूरत है पहले भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की।जरूरत है इमानदारी लाने की की ,जरूरत है गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण ब्यवस्था देने की ,अपराध मुक्त भारत बनाने की, निकम्मेपन को मिटाने की, जरूरत है बिलासिता पूर्ण जीवन जीने से उपर उठने की , जरूरत है सच्चाई को लाने की अगर इसको कायम कर ले तो भारत का हर बच्चा ,नौजवान, किसान ,मजदूर, ब्यापारी ,सभी खुशहाल जीवन जी सकेंगे।तथा स्वास्थ्य भारत सुरक्षित भारत का सपना साकार हो सकेगा। जरूरत है विकास क्रांति लाने की, जरुरत है हर बच्चे को राष्ट्र रक्षा व देश प्रेम की शिक्षा देने की, जरूरत है देश मे छुपे देश लूटने वालों से देश बचाने की।तथा जरूरत है खैरात खिलाने के बजाए रोजगार दिलाने की।(जय जवान ,जय किसान ,जय हिन्दुस्तान) आगे बढों भारत के भावी नौजवान,किसान,
