उत्तर प्रदेश भारत का एक ऐसा प्रदेश है जहाँ से देश के प्रधान पद  का निरधारण होता है 23करोड़ से अधिक की  जनसंख्या वाले प्रदेश से देश की दिशा व दशा तैय होती है तथा सरकार बनाने का रास्ता साफ होता है। उत्तर प्रदेश में पुर्वांचल की बात करे या पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो हर तरफ परिवर्तन की बात चल पड़ी हैं। इसका कारण क्या है यह तो राजनीतिक पार्टियों एवं राजनेताओं के द्वारा ही इसका आंकलन किया जा सकता है।हम तो विचारक है सिर्फ अपने व समाज के भावनाओं को उजागर कर सकते हैं जन की बात सुनने से और वर्तमान में  स्थिति को देखने से ऐसा जान पड़ता है कि मानो महापरिवर्तन करने को जनता तैयार होकर बैठीं हैं।  जनता की चुप्पी ने सरकार का मनोबल तो बढा रखा है।पर वही जनता  दिल में छुपे दर्द का हिसाब लेने के लिए पीछे हटने को तैयार नहीं है। रोजगार जाने का गम, बीमारी से अपनों के खोने का गम ,तो है ही पर आगे आने वाले समय की अनिश्चितता के कारण जो स्थिति पैदा हुई है इससे कही न कहीं  जनमानस हताश हुआ है। जनता के मन मे जो उत्साह, उल्लास, जोश, जज्बा के साथ आगे बढाने की जो कड़ी थी वह कडी  कहीं न कहीं टूट कर बिखर गई है ।जनता पर  महामारी की मार तो पड़ी ही थी कि महंगाई की गाज ताबड़तोड़ जनता पर गिरती जा रही हैं। पेट्रोल व डीजल के आसमान छुते दाम ,तो गैस से लेकर सब्जी, सरसों के तेल रिफाइंड तेल , व दाल  के दाम ने लोगों को बेहाल कर डाला है। वही लॉकडाउन ने लोगो को घुटन भरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिया है।  इन सब का कहीं न कहीं कनेक्शन महामारी से जरूर है ,पर सही समय पर उचित निर्णय न हो पाना भी एक कारण हो सकता है   पश्चिम बंगाल के चुनाव मे धमाकेदार एंट्री तथा अन्य राज्यों के चुनाव व यूपी मे  पंचायत के चुनाव के समय कोरोना पैर पसार रहा था लोग चुनाव में मशगूल रहे मंचों से एक दूसरे को मिटाने की ंठान रखी थी।और इधर कोरोना बिकराल रुप ले रहा था । चुनाव से जब थके हारे घर लौटे तब तक देर हो चुकी थी विनाशकारी कोरोना ने भारत के अधिकांश  लोगों को अपना. निवाला बना चुका था।आज भारतवासी जो दंश झेल रहे है वह किसी से अछूता नहीं है आज ईश्वर की अनुकम्पा से व बैक्सीनीकरण के कारण बीमारी पर लगाम लगने लगा है।अब हमें फिर नये उत्साह के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। पर बढ़ेगे कैसे सरकारी कार्यालयों मे हो रहे लीपा पोती ,आना कानी ,व खानापूर्ति के खेल को. खत्म किए बिना कैसे प्रदेश की उन्नति हो सकती है।जहा अधिकारी कर्मचारी अपने फर्ज को न समझ कर समय काटने मे लगे हो डर नाम की चीज लेश मात्र भी ना हो वहा कहीं न कहीं त्रुटि तो होनी ही है । किसी इंजन के अंदर छोटा सा बोल्ट अगर ढीला हो जाये तो तत्काल प्रभाव नहीं दिखाई देता लेकिन उनके द्वारा होने वाली क्रिया  पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चल कर विस्फोट  का रूप ले लेता है। आज उत्तर प्रदेश मे इसी बिस्फोट की प्रबल संभावना बन चुकी है।जब किसी बर्तन मे दूध गर्म किया जाता है तो कुछ समय चिंता ही नहीं होती है, पर एक निश्चित समय के बाद उस बर्तन व दूध पर ध्यान नहीं दिया गया तो उस दूध को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। कुछ तो नुकसान हो ही जाता है।पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया तो दूध मिट्टी में मिल जाता है।आज स्कूल व बच्चों की बात की जाए तो दूध व बर्तन की स्थिति दिखाई देती है।तथा सरकार की जिम्मेदारी उसे बचाने की है भुख से कराहते प्राइवेट शिक्षकों के परिवार, तो वहीं शिक्षा से मुह मोड़ते बच्चे, तो कही राशन के लिए मारा मारी करते लोगो का हुजूम ।यह दृश्य ने सर्व समाज को हिलाकर रख दिया है।खैरात की उम्मीद मे खेती से मुह मोड़ते किसान , नौकरी की तलाश में दर दर भटकते हुए नौजवान,न्याय की उम्मीद मे दौड़ लगता फरियादी ।सबके मन मे बस एक ही सवाल है की आखिर जाये तो कहा जाय।किससे उम्मीद करे ,कब अच्छे दिन आयेंगे । कब हमारे बुरे दिनो के अंत होंगे कब हम सुरक्षित रह सकेंगे।इन बहुत से सवालों के साथ लोग जंग लड़ने के लिए तैयार है।पर सवाल है कि जातिवाद,संप्रदायवाद ,धर्मवाद के ढाल पर  प्रहार कैसे हो।कैसे भ्रष्टाचार के चंगुल से बचा जा सके। आज पूजीं वादी ब्यवस्था ने पूरे विश्व को अपना गुलाम बनाने की कवायद शुरू कर दी है पूजींवादी ब्यवस्था ने जहां लूट मचा रखीं हैं वहीं कही न कही सरकार मे बैठे कुछ लोग अपने चहेतों को पूजीपतियों की  लाइन मे खडा करने की हर सम्भव प्रयास कर रहे है आजादी के बाद हिन्दू व मुसलमान दोनो के लिये दो देश बना दिये गए जहाँ दोनो समुदाय के लोग सुखी पूर्वक रह सके । पर आज अपने ही देश मे हिन्दू घर छोड़ कर पलायन करने के लिए क्यों मजबूर है? आज देश मे चाहें जितने झूठ बोल लिए जाय पर सच तो ये हैं कि भारत मे बहुत कुछ अच्छा नहीं चल रहा है।रहा सवाल 2022 का तो 2022 की जंग जातीवादी बनाम हिन्दूत्व के बिच होगी। और 2024 की जंग लूट बनाम सुशासन व झूठ बनाम सच्चाई का होगा। आज हर किसी के मन में यह सवाल है कि कैसे लूट का खेल खेलने वालों, झूठ का खेल खेलने वाले, अपराध का खेल खेलने वाले,  जातीवाद का कार्ड खेलने वाले धर्म का नकली चोला ओढने वालों, नकली राष्ट्रवादीयों व भगोड़ा कारोबारीयो को बचाने वालो से कैसे बचा जा सके तथा उनसें कैसे मुक्ति मिल सके। तथा जीवन की नई शुरुआत कर सके ।आज जनता के मन मे बस एक ही बात है की हमें रोजगार, सुरक्षा, शिक्षा, सम्मान व प्रेम चाहिए।इस उम्मीद के साथ जनता महा परिवर्तन करने की ठान बैठी है। भारत ऋषि महर्षियों का देश रहा है धार्मिक देश है यहाँ गाय को गऊ माता तथा नाग.को नाग देवता माना जाता है। पर जब वही नाग फुफकार मारने लगता है तो उसके थूथन को.लाठी के हुरे कूच दिया जाता हैं।  जनता है उचित व अनुचित का फैसला हर पांच वर्ष पर करती है।