दिल्ली सल्तनत की शक्ति शनैः शनैः क्षीण हो रही थी, फलस्वरूप देश की राजनीतिक एकता. छीन भिन्न हो गई थी। राजनीतिक एकता के अभाव में बाबर को भारत पर आक्रमण करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। जनता मे असंतोष, बादशाहों द्वारा शोषण से पीड़ित जनमानस ने जब लाचारी व बेबसी मे  जीना दिनचर्या बना लिया तो अंग्रेज इस लाचारी, बेबसी का  भरपूर लाभ  उठाते हुए भारत को गुलाम बना लिए। आज महामारी जैसी दैवीआपदा का लाभ  उठा कर कुछ लोग सर्व समाज को पुनः गुलामी की गर्त  मे ढ़़केलने का प्रयास कर रहे हैं। देश की लाचार, बेबस, कमजोर,बीमार जनता आखिर जाय तो कहा जाय किचड़ के दलदल से किसी तरह निकली ही थी कि गहरे कुएँ  मे जा गिरी । जनता का लोगों से कहीं न  कही विश्वास ही टूट गया है।


दवा के लिए मारा मारी  व दवा के अभाव में दम तोड़ते लोग । तो कही रोजगार चले जाने के कारण भुख से परिवार व बच्चों को तड़पते देख मन मे ज्वालामुखी की आग तो धधकेगी ही ।उनका क्या जो लूटने मे लगे हैं दिन दूना रात चौगुना धना दोहना कर रहे हैं।मरे वो जो ईमानदार हैं, मरे वो जो राष्ट्र भक्त होंगे ,मरे वो जो देश बचाने की चिंता करें,। अरे उनका क्या देश बीके या लोग मरे ,उन्हें तो बिरयानी और पिज्जा चाहिए ही चाहिए।चिंता उन्हें  क्या जिसने गुलामी देखी ही नहीं  या महसूस की ही नहीं।, घबराहट तो तब होती है जब कोई ब्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अचानक से कमरे में बन्द कर दे और ताले मार दे, और चिल्लाने पर आवाज भी बाहर न आने दे।स्वयं को कमरें मे बन्द करने पर तो चिंता होती ही नहीं है।जब लाक किए जाते है तो वह घडी गुलामी की होती है गुलामी मे कुछ वर्ष जीने के बाद आजादी की जंग छीड़ ही जाती है छीड़े भी क्यों नहीं क्यों कि अन्याय, अपराध, धोखा धड़ी, छिना झपटी, व अपने जाल मे फसाकर ठगने की कवायद जब तेज होने लगती है तो क्रांति का बिगुल बज ही जाता है पूर्व की गुलामी, तानाशाही, और कोड़ों की हनक ने जहां स्वतंत्रता के मिशन को बल दिया । वही आज विश्व ब्यापी महामारी ने लाखो जिन्दगीया छिनी हैं तथा कहर बरपाया हैं। जिसे भुला नहीं जा सकता ।इस देश में अमीरों के अच्छे दिन तो आ गए। न जाने कितने सौ वर्ष बाद भी गरीबों के अच्छे दिन आयेगें भी या नही,अच्छे अच्छे आश्वासन तो  मिले है बडे बडे सपनों को दिखाया गया है भरपूर खैरात तो  मिले हैं जन की सुरक्षा व शिशु शिक्षा मिले ना मिले। घरों मे दुबके बच्चे ,गावों मे  गोली,

गुल्ली डंडा खेलते बच्चे, नहरों व तालाब मे डुबकी मारते बच्चे, शिक्षा से मुह मोड़ते बच्चे,पपजी, गुल्लू व बादशाह को मोबाइल मे पहचानते बच्चे, अपशब्दो की बौछारें करते बच्चे, कल  ये सभी कैसे भारत का निर्माण करेंगे ? जो बीमार है उसे न दवा मिली न डॉक्टर ।जो एसी मे है उन्हें बिना जरूरत के घर मे  वैक्सीन मिला। जो  हाथों मे झंडा थाम घूमते उसे मास्क व सेनेटाइजर व सूबीधा, जो बाहर किसी काम से निकले डर से बोल ना पाए उन्हें मिला डंडा, कुछ सवाल जबाब किया तो मिली चालान की उन्हें पर्ची। 6  माह की इमरजेंसी  मे जिसकी ना हुईं पिटाई उन पर भी पुलिस ने लाठी बरसाई। धन्य है इस देश की व्यवस्था।लोग मरते रहे सांत्वना मिलते रहे।।  अब तो बदलिए नजरबंद मत करिये। आज जरूरत मंदो के लिए गांव मे ही वैक्सीन व डाक्टर की जरूरत है लोगों के लिए रोजगार कि जरूरत है बन्द पड़े स्कूलों को खोलने की जरूरत है समय रहते.महामारी से जंग जितने की जरूरत है।ईर्ष्यालु न बनकर दयावान बनने की जरूरत है ।आज रोजगार क्रांति की जरूरत है, खैरात खिलाने के बजाए रोजगार दिलाने की जरूरत है।जबतक हर हाथों को काम हर खेत को निःशुल्क पानी न होगा, जब तक हर नागरिक की सुरक्षा गारंटी न होगी, जब तक हर नागरिक देश भक्त न होगा तब तक यह देश विकसित न होगा । सभी को मिलकर जंग जीतना ही होगा।।                    (जय जवान ,जय किसान, जय हिन्दूस्तान)अपना भारत बने महान।   दिल्ली सल्तनत की शक्ति शनैः शनैः क्षीण हो रही थी, फलस्वरूप देश की राजनीतिक एकता. छीन भिन्न हो गई थी। राजनीतिक एकता के अभाव में बाबर को भारत पर आक्रमण करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। जनता मे असंतोष, बादशाहों द्वारा शोषण से पीड़ित जनमानस ने जब लाचारी व बेबसी मे  जीना दिनचर्या बना लिया तो अंग्रेज इस लाचारी, बेबसी का  भरपूर लाभ  उठाते हुए भारत को गुलाम बना लिए। आज महामारी जैसी दैवीआपदा का लाभ  उठा कर कुछ लोग सर्व समाज को पुनः गुलामी की गर्त  मे ढ़़केलने का प्रयास कर रहे हैं। देश की लाचार, बेबस, कमजोर,बीमार जनता आखिर जाय तो कहा जाय किचड़ के दलदल से किसी तरह निकली ही थी कि गहरे कुएँ  मे जा गिरी । जनता का लोगों से कहीं न  कही विश्वास ही टूट गया है। दवा के लिए मारा मारी  व दवा के अभाव में दम तोड़ते लोग । तो कही रोजगार चले जाने के कारण भुख से परिवार व बच्चों को तड़पते देख मन मे ज्वालामुखी की आग तो धधकेगी ही ।उनका क्या जो लूटने मे लगे हैं दिन दूना रात चौगुना धना दोहना कर रहे हैं।मरे वो जो ईमानदार हैं, मरे वो जो राष्ट्र भक्त होंगे ,मरे वो जो देश बचाने की चिंता करें,। अरे उनका क्या देश बीके या लोग मरे ,उन्हें तो बिरयानी और पिज्जा चाहिए ही चाहिए।चिंता उन्हें  क्या जिसने गुलामी देखी ही नहीं  या महसूस की ही नहीं।, घबराहट तो तब होती है जब कोई ब्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अचानक से कमरे में बन्द कर दे और ताले मार दे, और चिल्लाने पर आवाज भी बाहर न आने दे।स्वयं को कमरें मे बन्द करने पर तो चिंता होती ही नहीं है।जब लाक किए जाते है तो वह घडी गुलामी की होती है गुलामी मे कुछ वर्ष जीने के बाद आजादी की जंग छीड़ ही जाती है छीड़े भी क्यों नहीं क्यों कि अन्याय, अपराध, धोखा धड़ी, छिना झपटी, व अपने जाल मे फसाकर ठगने की कवायद जब तेज होने लगती है तो क्रांति का बिगुल बज ही जाता है पूर्व की गुलामी, तानाशाही, और कोड़ों की हनक ने जहां स्वतंत्रता के मिशन को बल दिया । वही आज विश्व ब्यापी महामारी ने लाखो जिन्दगीया छिनी हैं तथा कहर बरपाया हैं। जिसे भुला नहीं जा सकता ।इस देश में अमीरों के अच्छे दिन तो आ गए। न जाने कितने सौ वर्ष बाद भी गरीबों के अच्छे दिन आयेगें भी या नही,अच्छे अच्छे आश्वासन तो  मिले है बडे बडे सपनों को दिखाया गया है भरपूर खैरात तो  मिले हैं जन की सुरक्षा व

शिशु शिक्षा मिले ना मिले।घरों मे दुबके बच्चे ,गावों मे  गोली, गुल्ली डंडा खेलते बच्चे, नहरों व तालाब मे डुबकी मारते बच्चे, शिक्षा से मुह मोड़ते बच्चे,पपजी, गुल्लू व बादशाह को मोबाइल मे पहचानते बच्चे, अपशब्दो की बौछारें करते बच्चे, कल  ये सभी कैसे भारत का निर्माण करेंगे ? जो बीमार है उसे न दवा मिली न डॉक्टर ।जो एसी मे है उन्हें बिना जरूरत के घर मे  वैक्सीन मिला। जो  हाथों मे झंडा थाम घूमते उसे मास्क व सेनेटाइजर व सूबीधा, जो बाहर किसी काम से निकले डर से बोल ना पाए उन्हें मिला डंडा, कुछ सवाल जबाब किया तो मिली चालान की उन्हें पर्ची। 6  माह की इमरजेंसी  मे जिसकी ना हुईं पिटाई उन पर भी पुलिस ने लाठी बरसाई। धन्य है इस देश की व्यवस्था।लोग मरते रहे सांत्वना मिलते रहे।।  अब तो बदलिए नजरबंद मत करिये। आज जरूरत मंदो के लिए गांव मे ही वैक्सीन व डाक्टर की जरूरत है लोगों के लिए रोजगार कि जरूरत है बन्द पड़े स्कूलों को खोलने की जरूरत है समय रहते.महामारी से जंग जितने की जरूरत है।ईर्ष्यालु न बनकर दयावान बनने की जरूरत है ।आज रोजगार क्रांति की जरूरत है, खैरात खिलाने के बजाए रोजगार दिलाने की जरूरत है।जबतक हर हाथों को काम हर खेत को निःशुल्क पानी न होगा, जब तक हर नागरिक की सुरक्षा गारंटी न होगी, जब तक हर नागरिक देश भक्त न होगा तब तक यह देश विकसित न होगा । सभी को मिलकर जंग जीतना ही होगा।।                    (जय जवान ,जय किसान, जय हिन्दूस्तान)अपना भारत बने महान।