भारतीय जन मानस ने सभी प्राणियों से प्रेम करने की जो आदत सी डाल रखीं है वह गलत नहीं है पर आवश्यकता से अधिक विश्वास की धारणा पाल लेना, यही इस देश के लिए घातक सिद्ध होता है। भारतीय लोग अंधविश्वास, झूठ, बेचारा, के चक्कर में अपना सबकुछ गवा बैठते है, क्षणिक लाभ के लिये वे अपना बहुत बड़ा समय,धन,सम्पत्ति गवा बैठते है। तथा देश को गलत हाथों में सौंप बैठते है। किसी जंगल में एक बुढा शेर राज्य करता था,
उसके दाँत व नाखून कमजोर हो चुके थे, जिसके कारण वह अपनी इक्छा से तथा बल से शिकार नही कर पाता था, उसके सामने जो आ जाता बस उसी को निवाला बनाता था।अन्यथा दिनभर अपने गुफाओं मे सोता रहता था। कभी कभी दहाड़े मारता जिससे पशुओं में दहशत फैल जाती, फिर भी पशु डरते. नही,बल्कि मजे लेते और जंगल को नुकसान पहुंचाते रहते थे। उनका जीवन मजेदार से कटता था लकड़हारे आते जंगल को काटते चले जा रहे थे, तथा छोटे बडे सभी जीवों को भी मारकर ले जाते,डर नाम की कोई चीज नही थी,लुट मार जैसी स्थिति दिखाई देती, तब उस जंगल को बडी चिंता हुई, और उस जंगल ने बिचार किया कि इस बुढे शेर से अब हमारी रक्षा नहीं हो सकती हैं। हमे अपनी रक्षा के लिए किसी दुसरे राजा को नियुक्त करना चाहिए, तभी सही ढंग से जंगल राज चल.पायेगा। ऐसा बिचार करते हुए जंगल ने नये राजा की तलाश शुरू कर दी। कुछ दिन के बाद जंगली जानवरों ने. जंगल में एक बब्बर शेर देखा और जंगल को सूचित किया।बब्बर शेर काफी तगड़ा व हट्ठठा कट्ठठा था, राजा जैसे चलता दहाड़े मारता तथा आराम से घूमता तथा भोजन की तलाश में दौड़ता रहता। जंगल को लगा.कि इससे अच्छा राजा मिलना मुश्किल है।चलो हम इसे ही राजा मान लेते है इसी बिच बुढे शेर की बिमारी के.कारण मृत्यु हो गई। अब एक छत्र बब्बर शेर का राज्य हो गया।

जब बब्बर शेर गद्दी पर बैठा तो बिचार करने लगा कि मुझे तो शिकार करने आता ही नही मै तो बचपन से ही मालिक के कटघरे का पशु मात्र था मेरा आहार तो मरी मुर्गी व सड़ा मांस था जो आराम से मिल जाता था।यहा तो कुछ और ही आलम है।कुछी दिन पहले बब्बर शेर को उसके मालिक ने उसे निकम्मा समझा कर जंगल में छोड़ दिया था। गद्दी पर बैठते ही बब्बर शेर ने आदेश पारित किया.की अब जंगल में कोई अपराध नही होगा, कोई छिना झपटी नही होगी।सबकी सुरक्षा, सबका विकास, एवं सबको संमान मिलेगा।अब जन जन की सुरक्षा होगी। जंगल का विकास होगा। अब जंगल राज मजबूत होगा । यह संदेश सूनकर जंगल बड़ा खुश हुआ।और उसमे आशा की एक किरण जगी, कुछ दिन बाद शेर का मालिक शिकार करने जंगल में आया और शिकार की खोज में घनघोर जंगल में जा पहुंचा। दूर से मनुष्य को देखकर बब्बर शेर जोर से दहाड़ने लगा पूरा जंगल दंग रह गया, सभी पशु पंक्षी छिप गए, और तेजी से दौड़ा,नजदीक पहुचने पर देखा की वह तो उसका मालिक है करीब पहुचकर बब्बर शेर मालिक के तलवें चाटने लगा। मालिक ने उसकी पीठ थपथपाई, मालिक मन ही मन मुस्कुराते हूए सोच रहा था कि मेरी जान बची, ।यह मेरा बड़ा वफादार पशु है बड़े काम का है। यह मेरा सारा काम करायेगा।बब्बर शेर दुलराते हूए अपनें भोजन की तरफ इसारा किया मालिक समझ गया मरी मुर्गीयाँ इसे चाहिए ,गाडी मे पडे़ मुर्गीयों को उसके सामने फेक दिया, और कहा जितना चाहों खावो बब्बर शेर खुश था और कहा मालिक मेरे लायक कोई सेवा हो तो बताये।मालिक बोला कुछ हिरन और किमती लकड़ियां चाहिए, बस देर क्या थी राजा के आदेश पर कुछ हिरन कुछ पंक्षी मारे गए लकड़ियां कटी, मालिक हिरन और लकड़ी लेकर जब चलने. लगा.तो बब्बर शेर न कहा मालिक यहा मेरा राज्य है जितना चाहिए ले जाईये, ।अब कभी भी मालिक व उसके लोग आते व जंगल को काटते तथा जीवों को मारते।धीरे धीरे जंगल विरान होने लगा।तब फिर जंगल को चिंता हुई कि यह तो नकली बब्बर शेर है।यह हमारा विनाश कर देगा। अब हमे राजा बदल देना चाहिए।तभी दूसरे जंगल से भटकता हुआ एक चीता अपने परिवार संग आया, चीता को देखकर जंगल के जीव राजा को सूचित किए, इस पर राजा क्रोधित होकर चीता की तरफ दौडा।
चीता जंगली खिलाड़ी था,एक झटके में नकली बब्बर शेर के चिथड़े उड़ा डाले ,और अपने गर्जना से जंगल में दहशत का माहौल पैदा कर डाला ।अब जंगल में इतना डर का माहौल बन गया कि जंगल की तरफ कोई आँख उठाकर देखता तक.न था।धीरे धीरे फिर जंगल घनघोर जंगल बन गया और काफी बड़ा भी हो गया।अब जंगल बड़ा खुश था। समय समय पर परिवर्तन भी जरुरी है। आज फिर एक बार जनमानस मे असंतोष का माहौल है सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, भोजन, एवं जन कल्याणार्थ एक नई किरण के उम्मीद मे जनमानस बैठा है जिस दिन चीता दिखेगा जनता क्रांति की बिगुल बजा देगी। यह परिवर्तन की आंधी है

