अनेकता में एकता को संजोए विशालकाय घर की चहारदीवारी मे जब गोरे व काले लोगों का जंग छिड़ा तो गोरे लोगों को घर से निकलने मे 200 वर्ष लग गये। लाखों जीवन की कुर्बानीयाँ देनी पड़ी, कोडे बरसाये गये, माँ के आंचल मे जैकारों के साथ चिख पुकार सुनाई पड़ी।उस समय ना तो कोई हिन्दू था,ना कोई मुसलमान, ना कोई सिक्ख, ना वर्ग भेद था ना धर्म भेद सिर्फ व सिर्फ स्वतंत्रता की मशाल दिखाई देती थीं।15अगस्त1947के पुर्व सिर्फ व सिर्फ अपने मुलक की आजादी चाहिए ही चाहिए थी। 1947 के बाद के समय मे जो परिवर्तन हुए निश्चित तौर पर भारतीय जनमानस के लिए अच्छा न रहा।हिन्दू मुसलमान को एक दूसरे के खून का प्यास बनाने का हर सम्भव प्रयास हुआ। कही सिक्ख धर्म को तो कही हिन्दू धर्म को निशाना बनाकर तो कही ईस्लाम खतरे में है जैसे फतवा जारी कर अलग अलग तरीका से धार्मिक उनमाद व कट्टरता फैला कर हिन्दू व मुसलमान दोनों पर वार किया गया। नतीजा ये हुआ कि आज पुरा भारत जातिवाद ,धर्मवाद, के मकड़जाल मे फसकर रह गया है। विकास होने के बजाय देश विनाश के पथ पर.अग्रसर होने लगा।आज देश में धार्मिक उन्माद से देश का नुकसान हुआ है।देश मे सरकारी नौकरी वैशाखी के बल हथियाकर राष्ट्रीय संपत्ति का अंधाधुंध लूट का खेल होता है। तो कही धार्मिक उन्माद पैदा कर देश की सम्पत्तियों का नूकसान किया जाने लगा। तो कही वोट के लिए मन्दिर व मस्जिदों की साफ सफाई व चहरदीवारी पर करोड़ों रूपयें खर्च किए जाने लगे। तो कही अपनी जातियों के लोगों को सरकारी नौकरी में गलत तरीके से घुसपैठ कराकर सत्ता में बर्चस्व कायम रखने की कवायद की जाने लगी। आज स्थिति ये है कि अपनी जाति ,अपना धर्म अपना वर्ग ,अपना क्षेत्र, को लेकर उनमादी तत्वों ने इस देश को तोड़ने का हर संभव प्रयास किया है।आज देश का आलम यह है कि लोग दवाइयों के आभाव में, सुरक्षा के अभाव में, मारे जा रहे हैं। सत्ता की भूखा इतनी बढ गई हैं कि देश का सैनिक मरे या किसान, मजदूर मरे या महिला, या कोई देश भक्त बलि की बेदी पर क्यों ना चढ जाय।उन हैवानों को इससे कोई लेना देना नही हैं।उन्हें सिर्फ व सिर्फ सत्ता सुख चाहिए। पर वे हैवान यह भूल रहे है कि 21वीं सदी का भारत हैं।परिवर्तन की आंधी चल पडी़ हैं उनको उनके गन्तव्य तक अवश्य पहुचायेगी। जिसका जीता जागता उदाहरण महामारी हैं।इस महामारी के बाद समय परिवर्तन कारी होगा।विकास की मशाल जलेगी।कानून सक्रिय होगा। भ्रष्टाचारी तिहाड़ मे होंगे, बेईमानी की कमाई सरकार जप्पत करेगी। एक ऐसा कानून होगा जिसकी हनक मात्र से भ्रष्टाचारी के रुह काप जायेंगे, उसकी.सात पीढियों तक फिर कोई सरकारी नौकरी नही पायेगा तथा वह अपना पुरा जीवन जेल में बिताएगा और अपने परिवार से मुलाकात. भी नही कर पायेगा। 21वीं सदी, मे 21वीं सदी का महात्मा गांधी परिवर्तन का खेल खेलेगा।जहा जातिवाद, धर्मवाद,क्षेत्रवाद, से उपर उठकर सर्व समाज व देश के लिए एक नये क्रांति का आगाज करेगा।तथा जन जन की सुरक्षा, न्याय, आवास,. भोजन, एवं हर ब्यक्ति को रोजगार गारंटी सुनिश्चित करेगा।तथा भारत को विकसित. राष्ट्र बनाएगा।तथा सत्य अहिंसा का पालन करते हुए सर्वे जनाः सुखिनः। को चरितार्थ करेगा। हमारा देश जीन परिस्थितियों से जूझ रहा है।उन परिस्थितियों में ऐसा दिख पड़ना सम्भव नही लग रहा है। किसी को उपरोक्त पर विस्वास मात्र भी न होगा। परन्तु ऐसा.सम्भव है । जब क्रांति की विगुल बजती है तो चिंटी मे भी वह शक्ति आ जाती है जो वह अपने क्षमताओं से.भी दस गुना बड़ा वजन उठा ले जाती है। रणभूमि में जब तलवारें खनकती है तो कयामत ले आती है, जनता जागती है तो परिवर्तन लाती है। अनयाय, अपराध जब जब बढता है परिवर्तन की आंधी आती है। भारत मे भीड़ तंत्र व भ्रष्ट तंत्र लूट तंत्र के सफाई के लिए वडे़ पैमाने पर परिवर्तन आवश्यक है( उठो जवानों जगो किसानों फिर से तुम हुंकार भरो ,गांधी ,शास्त्री के सपनों का भारत फिर से तुम नव निर्माण करो।