आने वाले कल मे जन जन के कल्याणर्थ एक ऐसी जन क्रान्ति का आगाज. होगा ।जो जनता द्वारा जनता के लिए जनता द्वारा चलाया गया जन आंदोलन होगा। जिसका उदगम पश्चिमी उत्तर प्रदेश या पुर्वी उत्तर प्रदेश से हो सकता है। वर्तमान समय में जो राजनीतिक ,समाजिक, आर्थिक व्यवहारिक, आन्तरिक, वाह्य तथा विचार धारा का अध्ययन करे तो पायेंगे कि कोई किसी पर क्यों विश्वास करें। की स्थिति दिखाई पड़ती है। परिस्थितियों ने जहाँ मनुष्य को झकझोर कर हिलाने का प्रयास किया है।वहीं महामारी ने तो लोगो के हौसले को भी उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है।ऐसे में एक अदृश्य शक्ति के सहारे प्रत्येक व्यक्ति को आगे बढ़ने की जरुरत है।
सन 570 ई0 मे हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था। उस समय अरब मे अनेक छोटे छोटे कबीले थे जो परस्पर लगातार एक दूसरे से लडते रहते थे। ये लोग बहुत सारे देबी देवताओं की पुजा करते थे। हजरत मोहम्मद इन कबीलों के बीच. आपसी सौहार्द एवं भाईचारे की भावना बढाने के लिए यह संदेश देने लगे कि ईश्वर एक है प्रारंभ मे मोहम्मद साहब की बातो का बिरोध हुआ ।यहां तक कि मोहम्मद साहब को मक्का छोड़कर 622ई० मे दूसरे शहर मदीना जाना पडा। हजरत मोहम्मद साहब ने अपने धर्म के कुछप्रमुख सिद्धांतो को जनमानस में सन्देश के रूप में दिया। जो काफी लोकप्रिय भी हुआ। उनका सिद्धांत 1-समता 2-समानता 3- बन्धुत्व था। लेकिन आज का. जो बातावरण है उस वातावरण में समता समाप्ती. की ओर तथा समानता मे कोई जीना नही चाहता व वन्धुत्व का अस्तित्व ही डुबता नजर.आ रहा है।ऐसी परिस्थितियों में परिवर्तन होना तय.है।। मुगल काल में वाणिज्य, तथा व्यापार का विकास हुआ परन्तु उस काल में मुगल सरदारों की विलासिता की अधिकता के कारण प्रशासनिक स्तर.पर ब्यापक असंतोष और भेद भाव फैला। इससे जगीरदारी ब्यवस्था मे गंभीर संकट पैदा हो गया था। अधिक्तर सरदारों का यह प्रयास रहता था कि वे अधिक आमदनी वाली जागीर हथियाले इस कारण मुगल प्रशासन ब्यवस्था मे भ्रष्टाचार बढता गया । अन्यथा न ले भारत के 72---73 वर्षो का अध्ययन करे तो हम पायेंगे कि आजादी के बाद के इन दिनों में वही स्थिति उभर कर सामने आई है जो मुगल काल में थी। योग्य सम्राट के अभाव मे वजीरो,सरदारों, तथा.मनसबदारों ने उनका स्थान लेने की चेस्टा की जो मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बना। आज भारत के लोग भी.मानसिक शोषण के शिकार हो चुके है सही.को सही बोलने की हिम्मत तक नही जुटापाते उन्हें सिर्फ अपने दाना पानी की लगी रहती है।लगे भी क्यों नही देश के लिए मर मिटने वाले लालालाजपत राय,भगत सिंह, उधम सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, असफाकउल्लाह खाँ ,राजगुरू सुखदेव सुभाषचन्द्र बोस, मंगल पांडेय आदि ने जो कुर्बानीयाँ दी उन्हें कुछ तो मिलना चाहिए। पर आज के नकली राष्ट्र भक्त भारतीय जनमानस की आँखो मे धुल झोकर गुमराह करने का कार्य कर रहे है आज ये.उन वीर सपूतों के नाम लेने मे भी परेशानी महसूस करते है। स्वयं के गुण गान करने कराने व बडे बडे पोस्टर व पेपर मे स्वयं के फोटो व नाम छपवाने मे विश्वास करते है भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुचाकर स्वयं के नाम को ब्रान्ड बनाने में लगे है।
भुख से कराहती जनता ,दवाओं के अभाव मे दम तोडती जिन्दगीयाँ, व्यापार खो चुके व्यापारीयो के आँसू ,कुपोषण के शिकार बच्चे, विधवा बिकलांग ,अनाथ बच्चे, और अपने बच्चों को देश के लिये खो चुके माता पिता हर किसी के दिल मे आज दर्द ही दर्द है।ऐसे में क्रान्ति की ज्वाला हर ब्यक्ति के दिल मे धधकने लगीं हैं। और जिस दिन यह ज्वाला ज्वालामुखी बन कर फटेगी उस दिन इसे रोक पाना. बडा मुश्किल होगा। और वह ज्वाला मुखी परिवर्तन की आँधी लेकर आयेगी। आज से कई सौ वर्ष पूर्व अकबर कालीन वित्तीय प्रबंधन भू राजस्व सामाजिक सामंजस्य के प्रयास धार्मिक नीति और साहित्य का अध्ययन करें तो पाएंगे कि इबादत खाने में सभी धर्मों के गुरुओं से उनके धर्म की अच्छी-अच्छी बातों को अकबर सुनता था और उन पर चर्चा करता था उचित और अनुचित पर विचार करता था तथा अपने दरबार के नवरत्नों से सलाह मशवरा करके निर्णय करता था लेकिन उसी मुगल वंशज में एक और नाम औरंगजेब का आया जो मुगल वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक था औरंगजेब विशाल साम्राज्य स्थापित करने में सफल रहा परंतु इसी समय उसके आतंक ने मुगल वंश को पत्नोन्मुख बनाया और मुगल वंश के पतन का कारण बना भारतीय राजनीति में भी ऐसी ही घटना होने जैसी दिखाई पड़ती है तानाशाही के आलम में भारतीय नौजवान किसान विद्वान व जवान नहीं जीना चाहता ।
परिवर्तन सम्भव


