भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में एक बार पुनः परिवर्तन की विशाल आंधी चल पड़ी है । जो झूठ वाद ,ठग वाद के साथ-साथ भ्रष्टाचारियों व स्वदेशी अंग्रेजों को उखाड़ फेंकेगी , तथा स्वदेशी अंग्रेजों का भ्रष्टाचारियों को उनके असली मुकाम तिहाड़ जेल में पहुंचा कर पाई पाई का हिसाब लेगी , तथा भारत में एक मजबूत व्यवस्था देकर विकास कि वह इबादत लिखेगी जो विश्व में सर्वोपरि होगा ,इस देश में प्रतिभा की कमी नहीं है ना ही इस देश के लोग परिश्रम करने में कम है ना ही हौसले कमजोर हैं कमजोर है तो इस देश का लचीला कानून इस देश की व्यवस्थापिका इस देश की
कार्यपालिका इस देश की न्याय व्यवस्था यहां सिर्फ वह सिर्फ स्वार्थ प्रधान है यहां की ओछी राजनीति तथा येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाने की राजनीतिजिसके कारण याह देश पिछड़ता जा रहा है ,इतिहास साक्षी है महामारी जब-जब आई है हम अपनों को खोए हैं जीवन में समस्याओं की कमी नहीं है फिर भी हौसले बुलंद होने चाहिए। हम इससे लड़ेंगे आगे बढ़ेंगे और इस पर विजय भी प्राप्त करेंगे ।क्योंकि हमारे देश के वैज्ञानिक डॉ स्वास्थ्य कर्मी प्रशासन के लोग इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।विवेक हीन व्यक्ति देश में अधिक जनसंख्या का हवाला देकर अपनी कायरता को छुपाते हैं और यह कह जाते हैं कि इतनी बड़ी जनसंख्या है सबको सुविधा कैसे दी जा सकती सभी कार्य कैसे ठीक हो सकते ।
लेकिन मै उन विवेक हीन व्यक्तियों को यह बताना चाहता हूं कि कभी-कभी रुक कर छोटे जीवों से सीख ले रुक कर और झुक कर देखो और सीखो उन नन्ही सी चींटी से उनका मुखिया आगे आगे चलता है और उनके परिवार की विशाल संख्या उसके पीछे पीछे चलती है ना क्रम टूटता है ना दूरी बनती है ना होती है ना आगे निकलने की होड़ लगी रहती है ना कोई किसी को धक्का देता है ना लड़ाई करता है ना ही आपस में वैमनस्य रखता है ।अपने अपने क्रम से और नियमित रूप से चलते हुए नियत स्थान पर सुरक्षित पहुंच जाते हैं और उनकी कतार भी सुंदर दिखती है पर आज का इंसान इंसानियत में नहीं बल्कि हैवानियत में विश्वास रखता है इसी कारण सुख चैन से नहीं रह पाता जरूरत इस बात की है कि हम सबसे पहले इंसान बने सभी से प्रेम करें न्याय कोरें न्याय दिलाने और तन मन से अपने कर्म को करें तब जाकर भारत विकसित राष्ट्र बनेगा ।विकास के सपने देखना हजारों हजार करोड़ के कर्ज के बल पर देश विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता है खैरात खाकर और खैरात खिलाकर विकास की डोर की कल्पना करना रेगिस्तान में प्यास बुझाने जैसी ही होगी इस देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए गुणवत्तापूर्ण एवं शस्ती शिक्षा अच्छे कर्म के प्रति जागृति ईमानदारी व निष्ठा के बल पर वह सार्वजनिक सद्भावना सहयोग की भावना से ही भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है केवल हवाई यात्रा व छूछिया फायर झोंकने से कुछ नहीं बनने वाला है ।इससे देश गर्त में ही जाएगा, जरूरत इस बात की है कि अच्छे को अच्छा व बुरे को बुरा कहा जाए ।अपराधी चाहे कितना भी करीबी क्यों ना हो उसे दंड मिलना ही चाहिए। मैं यह नहीं कहता कि इस देश में विकास नहीं हो रहा न्याय नहीं मिल रहा व्यवस्था नहीं की जाती कार्य नहीं होता बल्कि मैं यह कहना चाहता हूं
